रफ़्तार – कहानी

रफ़्तार – कहानी

पंकज अपने माता – पिता की तीन संतानों में सबसे छोटा है | चावला जी की कुल तीन संतान हैं जिनमे बड़ी बेटी रश्मि और छोटी बेटी प्रियंका है | शादी के करीब 12 वर्ष बाद चावला जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी | नाम पंकज रखा गया | घर खुशियों से भर गया | सभी का लाड़ला पंकज अपने घर में सबकी आँखों का तारा बन गया | बचपन से ही उसकी छोटी – छोटी जरूरतों का ख्याल रखा जाने लगा चूंकि चावला जी की अपनी फैक्ट्री है इसलिए उन्हें कम ही समय मिल पाता है घर के लोगों के लिए | पंकज पर उसके दादा – दादी भी जान छिड़कते थे | धीरे – धीरे पंकज चंचल हो गया | उसे आठ वर्ष की उम्र में ही एक रेसर बाइक ( बच्चों वाली ) लाकर दी गयी | इस बाइक पर बैठ पंकज खूब आनंद उठाता | कभी – कभी तो कॉलोनी के गार्डन में भी पंकज अपनी बाइक ले जाता और बड़ी शान से बच्चों को अपनी बाइक दिखाता | पंकज अब करीब 19 वर्ष का हो गया | अब वह पढ़ाई के लिए कॉलेज जाने लगा | अब बाइक चलाना उसका जूनून हो गया और उसने अपने पिता को रेसिंग बाइक के मना ही लिया जिसकी कीमत लाखों में थी | पर पंकज के बाइक चलाने की रफ़्तार के बारे में घर में किसी को पता नहीं था | एक दिन अचानक बाइक चलाते हुए पंकज का छोटा सा एक्सीडेंट हो गया | मामूली चोटें आयीं | घर के लोग नाराज तो हुए पर साथ ही नसीहत भी दी कि आगे से देखकर गाड़ी चलाये | और साथ ही यह भी कहते हैं कि किस्मत थी कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ | पर पंकज पर इस सब बातो का कोई असर नहीं हुआ | आगे भी एक – दो बार छोटे – छोटे हादसे हुए जिनमे पंकज बाल – बाल बचा | पर उसकी तेज गति से बाइक चलाने की आदत में कोई सुधार नहीं आया | एक दिन पंकज का बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो जाता है जिसमें डॉक्टर को उसका एक पैर और एक हाथ काटकर अलग करना पड़ता है | होश आने पर पंकज को जब पता चलता है कि उसका एक पैर और एक हाथ काट दिया गया है तो वह जोर – जोर से चीखने लगता है – माँ मेरा एक हाथ और एक पैर | माँ मुझे बचा लो | मैं जीना चाहता हूँ | मैं आज के बाद तेज गति से बाइक नहीं चलाऊंगा और न ही कोई स्टंट करूंगा | रात को अचानक पंकज के कमरे से जोर – जोर से चीखने की आवाजें सुनकर पंकज के घर के सभी सदस्य भागे – भागे पंकज के कमरे की और दौड़ पड़ते हैं और उसे चीखता हुआ देखकर उसे गहरी नींद से जगाते हैं और उसे एहसास कराते हैं कि उसका कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ है और वह पूरी तरह से ठीक है | थोड़ी देर बाद पंकज स्वयं को संयमित कर पाता है और सपने के बारे में सोच – सोचकर आने वाले भविष्य में होने वाली घटना के बारे में सोचकर वह शपथ लेता है कि आज से ही मैं सोच समझ कर बाइक चलाया करूंगा और बाइक से कोई स्टंट भी नहीं किया करूंगा | घर के सभी लोग आश्वस्त हो जाते हैं कि सपने में घटी एक घटना ने पंकज के जीवन को दिशा दे दी | सभी ख़ुशी – ख़ुशी अपने – अपने कमरे की ओर चले जाते हैं |

अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

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12 Comments

Mohammed urooj khan

15-Apr-2024 11:54 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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शुक्रिया जी

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नंदिता राय

11-Apr-2024 07:50 PM

Nice

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आपका आभार जी

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Shnaya

11-Apr-2024 05:17 PM

V nice

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शुक्रिया जी

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